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भारत रत्न से समानित व्यक्ति

1954 -डाँ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (प्रथम व्यक्ति) ,चक्रवर्ती     राजगोपालाचारी ,डाँ.चन्दशेखर वेकटरमन
1955 - डाँ. भगवान दास , डाँ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया , पं.     जवाहर लाल नेहरू
1957 - पं. गोबिंद वल्लभ पंत
1961 - राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन
1962 - डाँ. राजेंद्र प्रसाद
1963 - डाँ. जाकिर हुसैन ,पांडुरंग वामन काणे
1966 - लाल बहादुर शास्त्री (मरणोपरांत प्रथम व्यक्ति )
1971 - इंदिरा गांधी
1975 - वराह वेकट गिरी
1976 - कुमार स्वामी कामराज (मरणोपरांत )
1980 - मदर टेरेसा
1983 - आचार्य विनोबा भावे (मरणोपरांत )
1987 - खान अब्दुल गफ्फार खान (प्रथम विदेशी व्यक्ति )
1988 - मखदूम गोपालन रामचन्द्रन (मरणोपरांत )
1990 - डाँ भीमराव अंबेडकर (मरणोपरांत ) नेल्सन मंडेला
1991 - राजीव गांधी (मरणोपरांत ),सरदार वल्लभ भाई पटेल (मरणोपरांत ),मोरारजी देसाई
1992 - j.R.D. टाटा ,मौलाना अबुल कलाम आजाद (मरणोपरांत ), सत्यजीत रे
1997 - अरुणा आसफ अली (मरणोपरांत ),गुलजारी लाल नन्दा (मरणोपरांत ),A.P.J. अब्दुल कलाम
1998 - M.S.सुब्बुलक्ष्मी ,C.सुब्रमण्यम ,जयप्रकाश नारायण     (मरणोपरांत )
1999 - प्रो.अमर्त्य सेन ,पं.रविशंकर ,गोपीनाथ बारदोलोई (मरणोपरांत ) 
2001 - लता मंगेशकर ,उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ
2008 - भीमसेन जोशी
2014 - सचिन तेंदुलकर C.N.रामचन्द्र राव
2015 - अटल बिहारी वाजपेयी ,मदनमोहन मालवीय (मरणोपरांत )

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वर्ण- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते है, जिसके खंड या टुकड़े नहीं हो सकते हैं। जैसे - अ,आ,इ,ई,क्,ख्,य्,र् आदि ।                           वर्णमाला वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 52 वर्ण या ध्वनियाँ प्रयुक्त होता हैं - 1.अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ - स्वर (11)  अं (अनुस्वार ),अः (विसर्ग ) - अयोगवाह (2) 2.'क ' से लेकर ' म ' तक को " स्पर्श व्यंजन ".कहते हैं।  य,र,ल,व  -  अंतःस्थ व्यंजन ( 4 )  श,ष,स,ह  - ऊष्म व्यंजन  ( 4 )  क्ष,त्र,ज्ञ,श्र - संयुक्त व्यंजन ( 4 ) ड़ , ढ़      -  हिन्दी के अपने व्यंजन ( 2 ) नोट - व्यंजन वर्णों में उच्चारण कि सुविधा के लिए 'अ' स्वर मिला कर लिखा जाता हैं। इनके शुद्ध रूप - क्,ख्,ग् आदि । वर्ण का भेद - वर्ण के दो भेद हैं - (a) स्वर और  (b)व्यंजन (a) .स्वर वर्ण - स्वर उन वर्णौं को कहते हैं, जिनका उच्चारण स्वतः होता हैं। जैसे - अ,आ,इ,ई (क) ह्रस्व - अ,इ,उ एवं ऋ ह्रस्व स्वर हैं। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।इनके उच्चारण मे दीर्घ स्वर से आधा समय लगता हैं। (ख). दीर्घ - आ,ई,उ,ए,ऐ,ओ एवं

संधि

1.संधि - दो अक्षरों के आपस में मिलाने से उनके रूप और उच्चारण में जो परिवर्तन होता हैं उसे संधि कहते हैं, जैसे - गण +ईश = गणेश 2.संधि-विच्छेद -जिन अक्षरों के बीच संधि हुई हैं यदि उन्हें संधि के पहले वाले रूप में अलग अलग करके रखा जाए तो उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसे -  गणेश - गण+ईश संधि के तीन भेद होता हैं- (क) स्वर संधि ,(ख) व्यंजन संधि ,(ग) विसर्ग संधि (क) स्वर संधि : दो स्वरों के आपस में मिलने से जो रुप परिवर्तन होता हैं, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे - भाव+अर्थ = भावार्थ (एक भाव शब्द के 'व' का 'अ' दूसरा अर्थ शब्द का 'अ' मिलकर भावार्थ शब्द के 'वा' का 'आ' बनाते हैं)  स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं - (a).दीर्घ संधि - ह्रस्व स्वर (अ,इ,उ) या दीर्घ स्वर (आ,ई,ऊ) के आपस में मिलने से यदि सवर्ण या उसी जाति के दीर्घ स्वर की उतप्ति होता हो उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे -पुस्तक+आलय =.पुस्तकालय (अ+आ =आ)      भाव+अर्थ = भावार्थ  (अ+अ =आ) (b).गुण संधि - यदि अ या आ के बाद इ/ई,उ/ऊ.अथवा ऋ स्वर आता हैं तो दोनों के मिलने से क्रमशः 'ए' ,'

वेद से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नो का संग्रह

भारत के सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथ - वेद सबसे प्राचीन वेद - ऋग्वेद ऋग्वेद के ऋचाओं को पढने वाले ऋषि कहलाते है - होतृ ऋग्वेद का रचना काल - 1000 ई.पू.-1500 ई.पू. ऋग्वेद के कौन सा मण्डल अंत मे जोडा गया - पहला व                                                                          10वाँ ऋग्वेद मे हस्तलिखित ऋचा किस मण्डल मे हैं - 8वाँ ऋग्वेद के हस्तलिखित ऋचाएँ कहलाती हैं - खिल ऋग्वेद मे किस नदी का सर्वाधिक महत्व था - सरस्वती नदी 10वाँ के पुरूष सूक्त में वर्णन हैं - चातुष्ववर्णय समाज ऋग्वेद के दो ब्राह्मण हैं -  ऐतरेय व कौषीतकि(शंखायन) वामन अवतार का वर्णन हैं - ऋग्वेद आर्यो के जीवन व्यवहार,राजनीतिक प्रणाली का वर्णन इसी ऋग्वेद मेंं हैं । गायत्री मंत्र किस ग्रंथ से लिया गया हैं - ऋग्वेद कौन सा वेद कर्मकांड प्रधान हैं - यजुर्वेद कौन सा वेद में गद्य और पद दोनों हैं - यजुर्वेद किस वेद में यज्ञों के नियमों का वर्णन हैं - यजुर्वेद यजुर्वेद के मंत्रों का पाठ करनेवाले कहलाते थे - अध्वार्यु गायी जाने वाली ऋचाओं का संग्रह किस वेद मे हैं - सामवेद सामवेद मे वर्णित देवता हैं - सावि