झारखंड के प्रसिद्ध जलप्रपात
1.हुंडरू :- यह झारखंड का सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात हैं।यह
जलप्रपात रांची से 42 km दूर स्वर्णरेखा नदी पर स्थित हैं,
इस प्रपात की उँचाई 74 मीटर हैं। इस जलप्रपात पर सिकीदरा में पनबिजली का उत्पादन होता हैं।
2.दसम जलप्रपात :- यह जलप्रपात रांची से 25 km दूर दक्षिण- पूर्व में कांची नदी पर स्थित हैं। इसकी ऊँचाई 40 मी.
हैं।पहले इस जलप्रपात मे दस धाराएँ हुआ करती थी इसलिए
इसका नाम दसम पडा़ ।
3.सदनी जलप्रपात :- यह जलप्रपात गुमला जिला में शंख नदी पर स्थित हैं।यह 61 मीटर ऊँचा हैं।
4.हिरणी जलप्रपात :- यह जलप्रपात रांची-चाईबासा मार्ग पर पश्चिम सिहभूम जिला में स्थित हैं।यह जंगलों के बीच स्थित होने के कारण अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं।
6.जोन्हा जलप्रपात :- रांची से दक्षिण पूर्व में करीब 35km
दूरी पर स्थित है।यह गौतम धारा के नाम से भी जाना जाता हैं। कहा जाता है कि यहां पर महात्मा बुद्ध ने स्नान किये थे।
इसकी ऊँचाई 26 मीटर हैं।
7.गौतम घाघ /बुढा घाघ : गौतम घाघ पलामू जिला के महुआ टांड के पास यह स्थित हैं। इसकी ऊँचाई 36 मीटर हैं। इसी के पास 142 फिट ऊँचा बुढा घाघ जलप्रपात स्थित हैं।
8.राजरप्पा जलप्रपात :- रामगढ़ कैट (हजारीबाग) से पूर्व 25
km दूरी पर यह दामोदर और भेडा नदी के संगम पर स्थित हैं
9.घघरी जलप्रपात :- यह जलप्रपात नेतरहाट(लातेहार जिला)
से 7km दूर घघरी नदी पर स्थित हैं इसकी ऊंचाई 42 मीटर हैं।
9.घघरी जलप्रपात :- यह जलप्रपात नेतरहाट(लातेहार जिला)
से 7km दूर घघरी नदी पर स्थित हैं इसकी ऊंचाई 42 मीटर हैं।
प्रसिद्ध झील :
झारखंड में सात प्राकृतिक झील है।
1. हजारीबाग झील :- हजारीबाग
2.रांची लेक :- रांची
3.डिमना झील :- जमशेदपुर
4.जुबली पार्क झील :- जमशेदपुर
5.तोपचांची झील :- धनबाद-गिरीडीह
6.नेतरहाट झील। :- रांची
7.बेल्डीह झील :- जमशेदपुर
8. मसोजोर झील :- दुमका
8. मसोजोर झील :- दुमका
जलाशय :
झारखंड में लगभग 94 कृत्रिम छोटे बड़े जलाशय हैं जिनमें से
कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं :
1.मैथन डैम - धनबाद (सबसे बड़ा)
2.चांडिल डैम - पूर्वी सिहभूम
3.कनाल डैम - सथाल परगना
4.पंचेत डैम - धनबाद
5.तिलैया डैम - हजारीबाग
6.मयूराक्षी डैम - दुमका
7.तेनुघाट डैम - गिरीडीह
8.गेतालसूद - रांची
9.कोनार डैम - हजारीबाग
धार्मिक स्थल :
1.सम्मेत शिखर जी :- गिरीडीह जिला में स्थित पारसनाथ पर्वत झारखंड राज्य की सबसे ऊंची पहाड़ी हैं।इसकी ऊचाई
4500 फीट हैं। यह पर्वत जैन धर्म का एक पवित्र तीर्थ स्थल हैं। 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने अपना निर्वाण यही पर
प्राप्त किये थे। 23वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ के नाम पर इस पहाड़ी का नाम पारसनाथ पडा़। पहाड़ के शिखर पर बीसों तीर्थकरों का पद चिन्ह अंकित है। इस शिखर को ' सम्मेत शिखरजी'
कहा जाता हैं।
2.राजरप्पा शक्तिपीठ :- हजारीबाग जिला के रामगढ़ से 31
किलोमीटर दूरी पर स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह 51
सिद्धपीठों में से एक हैं। भैरवी और दामोदर नदियों के संगम पर माता छिन्नमस्तिका का मंदिर हैं।
3.जगन्नाथपूर मंदिर :- उडिया स्थापत्य कला पर निर्मित यह मंदिर झारखंड का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। इसे 1691
मे नागवंशी शासक राजा ठाकुर एनी महादेव ने बनवाया था।
यह रांची से 12 किलोमीटर दूर स्थित हैं। जून जुलाई में यहां पर मेला लगता हैं।
4.वैद्यनाथ धाम :- झारखंड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ
धाम एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल हैं। वैद्यनाथ धाम शिव
लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक शिवलिंग हैं।इसका वर्णन
पुराणों में भी मिलता हैं।इस मंदिर का ऊचाई लगभग 22
मीटर हैं, शहर से 16 km दूरी पर त्रिकुट पर्वत स्थित हैं।सावन (जुलाई-अगस्त) मास में यहां मेला लगता हैं। मुख्य शहर से कुछ दूर पर तपोवन स्थित हैं।
देवघर से 43 km दूरी पर वासुकीनाथ मंदिर हैं।
5.मलूटी :- पश्चिम बंगाल के सीमा के पास स्थित दुमका जिला से 55 km दूरी पर एक गांव हैं 'मलूटी' । जो द्वारका नदी के तट पर स्थित हैं। इस गांव का उपनाम 'मंदिरों का गांव'
हैं। 1984 में तात्कालिक बिहार के पुरातत्व विभाग ने पुरातात्विक महत्व से इस गांव के मंदिरो को संरक्षण दिया।
मंदिरों के पाषाण मुर्तिया और फलक प्राचीन स्थापत्य कला का एक अनोखा और दुर्लभ प्रमाण हैं।यही पर मौलिक्षा माता का मंदिर हैं जिसका संबंध पश्चिम बंगाल के तारापीठ से माना जाता हैं।
मलूटी से पूर्व पाषाण युग के पत्थर के औजार भी मिले हैं।
यह पुरातात्त्विक और एतिहासिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
किलोमीटर दूरी पर स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह 51
सिद्धपीठों में से एक हैं। भैरवी और दामोदर नदियों के संगम पर माता छिन्नमस्तिका का मंदिर हैं।
3.जगन्नाथपूर मंदिर :- उडिया स्थापत्य कला पर निर्मित यह मंदिर झारखंड का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। इसे 1691
मे नागवंशी शासक राजा ठाकुर एनी महादेव ने बनवाया था।
यह रांची से 12 किलोमीटर दूर स्थित हैं। जून जुलाई में यहां पर मेला लगता हैं।
4.वैद्यनाथ धाम :- झारखंड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ
धाम एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल हैं। वैद्यनाथ धाम शिव
लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक शिवलिंग हैं।इसका वर्णन
पुराणों में भी मिलता हैं।इस मंदिर का ऊचाई लगभग 22
मीटर हैं, शहर से 16 km दूरी पर त्रिकुट पर्वत स्थित हैं।सावन (जुलाई-अगस्त) मास में यहां मेला लगता हैं। मुख्य शहर से कुछ दूर पर तपोवन स्थित हैं।
देवघर से 43 km दूरी पर वासुकीनाथ मंदिर हैं।
5.मलूटी :- पश्चिम बंगाल के सीमा के पास स्थित दुमका जिला से 55 km दूरी पर एक गांव हैं 'मलूटी' । जो द्वारका नदी के तट पर स्थित हैं। इस गांव का उपनाम 'मंदिरों का गांव'
हैं। 1984 में तात्कालिक बिहार के पुरातत्व विभाग ने पुरातात्विक महत्व से इस गांव के मंदिरो को संरक्षण दिया।
मंदिरों के पाषाण मुर्तिया और फलक प्राचीन स्थापत्य कला का एक अनोखा और दुर्लभ प्रमाण हैं।यही पर मौलिक्षा माता का मंदिर हैं जिसका संबंध पश्चिम बंगाल के तारापीठ से माना जाता हैं।
मलूटी से पूर्व पाषाण युग के पत्थर के औजार भी मिले हैं।
यह पुरातात्त्विक और एतिहासिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
अन्य प्रमुख दार्शनिक स्थल :
रांची :- रांची सिर्फ झारखंड की राजधानी ही नहीं हैं बल्कि यह एक प्रसिद्ध प्राकृतिक दार्शनिक स्थल भी हैं। रांची के बीचों बीच 'रांची पहाड़ी' हैं। यही पर टैगोर हिल भी स्थित है जो रांची पहाड़ी से भी बड़ा है।कवि रविन्द्र नाथ टैगोर साहित्य सृजन के लिए इसी पहाड़ी पर एकांतवास करते थे। रांची के आस पास ही हुंडरू, दमस,जोन्हा आदि जलप्रपात और कांके डैम, हटिया डैम आदि अनेक प्राकृतिक स्थल है।
नेतरहाट :- नेतरहाट 'छोटा नागपुर की रानी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह लातेहार जिला में स्थित हैं। इसकी ऊंचाई समुद्र
तल से 3700 मीटर हैं। इसकारण से यहां का मौसम सदैव
समशीतोष्ण बना रहता हैं।
नेतरहाट में बहुत से दार्शनिक स्थान है लेकिन उनमें से सबसे
प्रसिद्ध 'मैगनेलियन प्वाइंट' जहां पर सुर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। अन्य स्थानों में से लोथ
जलप्रपात ,सदनी जलप्रपात आदि प्रमुख हैं।
हजारीबाग :- हजारीबाग शहर के पास स्थित केनारी हिल से पूरे शहर को निहारा जा सकता हैं। हजारीबाग जिले के चतरा मे स्थित कालेश्वरी पहाड़ी पर गुरु नानक देव ने उपदेश दिये थे। हजारीबाग नेशनल पार्क, हजारीबाग झील, कोनार डैम,
तिलैया डैम, रजरप्पा का मंदिर आदि अन्य दार्शनिक स्थल है।
धनबाद :- धनबाद को 'कोयलांचल' अथवा ' काला सोना की नगरी' आदि उपनामों से जाना जाता हैं। यही पर 'केन्द्रीय खान अनुसंधानशाला' और 'राष्ट्रीय इंधन अनुसंधानशाला' है।
बराबर नदी पर बना मैथन डैम यही है। पंचेत डैम भी यही है।
यही पर कल्याणेश्वरी शक्तिपीठ हैं।
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